ठंड से कांपता हुआ, कंबल में दुबका मैं। लाचार वसंत पर, जोर से चिल्लाया। ठंड से कांपता हुआ, कंबल में दुबका मैं। लाचार वसंत पर, जोर से चिल्लाया।
अब उसमें ही तुम्हारा अक्स में देख लिया करूँगी।। देख देख कर उसको ही ये नीरस जीवन जी लिय अब उसमें ही तुम्हारा अक्स में देख लिया करूँगी।। देख देख कर उसको ही ये नीरस जी...
जीने की इच्छा बुझ गयी तुममे, मौत से इतनी मुहब्बत कहाँ सही था? जीने की इच्छा बुझ गयी तुममे, मौत से इतनी मुहब्बत कहाँ सही था?
जो लिखे थे पत्र वो भेजे नहीं। जो लिखे थे पत्र वो भेजे नहीं।
सच है टूटा आईना फिर जुड़ नहीं सकता टूटकर फूल डाली से फिर खिल नहीं सकता। सच है टूटा आईना फिर जुड़ नहीं सकता टूटकर फूल डाली से फिर खिल नहीं सकता।
मुझ पर खत्म होते है पर अब सब कुछ बेजान है क्योंकि तुम नही हो मैं जी लेता है इन यादों , बातों औ... मुझ पर खत्म होते है पर अब सब कुछ बेजान है क्योंकि तुम नही हो मैं जी लेता है...